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मध्यप्रदेश का गठन एवं पुनर्गठन – MPPSC / PEB

मध्यप्रदेश का गठन – MPPSC / PEB : मध्यप्रदेश देश के मध्य में स्थित है। इसलिए इसे हदय प्रदेश’ भी कहा जाता है। प्रदेश को मध्यप्रदेश नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिया। म.प्र. को ब्रिटिश काल में ‘सेन्ट्रल प्रोविंस’ और ‘बरार’ नाम से जाना जाता था।
1956 से पूर्व की स्तिथि : स्वतंत्रता के समय में मध्य प्रदेश नाम से कोई राज्य अस्तित्व में नहीं था। 1947 में राज्यों की जो श्रेणियां बनी थी उनमें पार्ट ‘A’ मे सी. पी. बरार, पार्ट ‘B’ में मध्यभारत का प्रांत, पार्ट ‘C’ मे विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य शामिल थे, चूंकि सी. पी. बरार की राजधानी नागपुर थी, अतः मध्य प्रदेश गठन के पूर्व यही प्रदेश की राजधानी मानी जाती हैं।
क्र.पार्ट प्रांतराजधानीप्रांत के नामप्रमुख
1.पार्ट Aनागपुरसेन्ट्रल प्रोविंस एवं बरारपं. रविशंकर शुक्ल
छत्तीसगढ़, बघेलखंड, मध्यप्रदेश
2.पार्ट Bइंदौर, ग्वालियरमध्य भारतलीलाधर सेठ
3.पार्ट Cरीवाविंध्यप्रदेशपं. शम्भू नाथ शुक्ल
4.पार्ट Dभोपालभोपाल स्टेटभोपाल स्टेट
डॉ. शंकरदयाल शर्मा
सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार : 2 नवंबर 1861 को केंद्रीय प्रांत (सेंट्रल प्रोविंस) के रूप मे गठित प्रदेश ही स्वतंत्रता के समय तक मुख्य मध्यप्रदेश ही था । यह वस्तुत “न्यायिक कमिश्नरी क्षेत्र” था , जिसका प्रमुख “न्यायिक कमिश्नर” था । 1921 मे इसे “राज्यपाल प्रांत” (गवर्नर्स प्रोविंस) का रूप दे दिया गया । जब हैदराबाद रियासत से बरार लेकर इसमें मिलाया गया (1936) तब इसका नाम सी. पी. प्रोविंस एंड बरार हो गया । 1947 मे सी. पी. बरार पार्ट – ए में शामिल राज्य था , जिसमे छत्तीसगढ़, विदर्भ व महाकौशल शामिल थे । इसकी राजधानी नागपुर थी । इसके प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल और राज्यपाल ई. राघवेंद्रराव थे। 
  • सेन्ट्रल प्रोविंस : 2 नवंबर 1861 को स्थापित (सागौर, नेरबुड्डा और नागपुर प्रांत मिलाकर)
  • सेन्ट्रल प्रोविंस एण्ड बरार : 1936 मे बना, 1950 तक अस्तित्व में रहा । सेन्ट्रल प्रोविंस और बरार से मिलाकर बना । बरार हैदराबाद रियासत से लीज पर प्राप्त हुआ था।
मध्य भारत : मध्य भारत प्रांत ‘पार्ट B’ में शामिल था । 22 अप्रैल 1948 को 25 रियासतों के साथ यह अस्तित्व मे आया । इसकी राजधानी 6 माह ग्वालियर तथा 6 महा इंदौर रहती थी। 1946 – 48 की अवधि में यहां निर्वाचित मंत्रिमंडल ने शासन किया, जिसके प्रमुख लीलाधर जोशी थे, 1956 मे राज्य पुनर्गठन के समय तखतमल जैन मुख्यमंत्री थे । 1956 के पूर्व तक हमारा प्रदेश “मध्य भारत” के रूप मे ही पहचाना जाता था।
विंध्यप्रदेश : 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद बुंदेलखंड और बघेलखंड की 38 रियासतों को मिलाकर विंध्यप्रदेश (पार्ट ‘सी’) का निर्माण हुआ ( मार्च 1948 में)। इस राज्य को रीवा तथा बुंदेलखंड दो इकाइयों के रूप में रखा गया, जिनके राजप्रमुख रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह देव नियुक्त हुए । कप्तान अवधेश प्रताप सिंह एवं श्री कामता प्रसाद सक्सेना के नेतृत्व में बघेलखंड एवं बुंदेलखंड में मंत्रिमंडल बने । जुलाई, 1948 में दोनो सरकारों को संयुक्त कर एक मंत्रिमंडल की स्थापना की गई । प्रधानमंत्री कप्तान अवधेश प्रताप सिंह बने। 1 जनवरी 1950 को विंध्यप्रदेश पार्ट ‘C’ मे शामिल किया गया । राजधानी रीवा बनाई गई । 1952 में 60 निर्वाचित प्रतिनिधियों की विधायिका बनी तथा 2 अप्रैल 1952 को मुख्यमंत्री पं. शंभूनाथ शुक्ल के नेतृत्व में मंत्रिमंडल स्थापित हुआ ।
भोपाल स्टेट : इसकी राजधानी भोपाल थी । यह पार्ट ‘C’ में शामिल था। प्रारंभ मे नवाब हमीदुल्लाह खान ने भारत संघ मे विलय से इंकार कर दिया था।
मध्य प्रदेश का अस्तित्व मे आना : फजल अली राज्य पुनर्गठन आयोग, 1956 के अनुसार “मध्य प्रदेश” का गठन हुआ । वस्तुतः मध्यप्रदेश उक्त चारो राज्यों को मिलाकर बनाया गया यद्यपि उसमे निम्नानुसार परिवर्तन भी किए गए।
  • सी. पी. बरार से बुल्ढाना, अकोला, अमरावती, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, भंडारा, चांदा – कुल 8 जिले मुंबई राज्य (महाराष्ट्र) को दिए गए, शेष मध्य प्रदेश में मिलाए गए ।
  • भानपुरा तहसील (म. प्र को मिली) के सुनेलटप्पा (राजस्थान को मिला) को छोड़कर शेष संपूर्ण मध्यभारत का प्रांत म. प्र में सम्मिलित किया गया।

विंध्य प्रदेश में मिलायी गई रियासतों की सूची

रीवापालदेवसोहावल
अजयगढ़पन्नासमंथर
बरोधकामतातरांव
बिजावरगरोलीबावनी
फतहपुरभेंसुदाजिंगनी
मैहरगौरीहारराका
नागोदजासोबांका
चरखारीकोठीबेरी
दतियाखनियाधानाअलीपुर
नैगावनबेहातफतेहपुर
पहराबिजनासरीला
ओरछाधुरवईलुगासी

मध्य भारत में मिलायी गई रियासतों की सूची

ग्वालियरइन्दौर
जावराधार
देवास(छोटा)देवास (बड़ा)
बड़वानीसतमऊ
कुरवाईरतलाम
काठीवाड़ाकुरवई
अलीराजपुरजोबट
पिपलोदापथरी
मधवारमुहम्मेदगढ़
पठारीअटवार
राजगढ़भूमिया स्टेट्स
नीमाखेड़ाजमानिया
खिलचीपुर
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  • भोपाल का पूरा राज्य मप्र में सम्मिलित किया।
  • विध्य प्रदेश पूरा म.प्र. का भाग बना।
  • राजस्थान से सिरोंज तहसील म.प्र. के विदिशा जिले में सम्मिलित की गयी।
  • 1 नवम्बर, 1956 को नवगठित म.प्र. की राजधानी भोपाल बनायी गयी। इस समय मध्यप्रदेश में 43 जिले थे।
म.प्र. का बाह्य पुर्नगठन-2 (छ.ग. का पृथक होना) : 1 नवम्बर सन् 2000 को 44 साल बाद मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग को “छत्तीसगढ़” के रूप में पृथक किया गया।
म.प्र. से अलग हुआ छ.ग. का भू-क्षेत्र : 1,35,913 (30.47%)
म.प्र. का आंतरिक पुनर्गठन : म.प्र. का पुनर्गठन आंतरिक रूप से निरन्तर जारी है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना है। 1972 को भोपाल नया जिला बना, जो तब तक सीहोर की एक तहसील था । 1972 को ही दुर्ग से राजनांदगांव बना और कुल जिले 45 हो गए थे।
बी. आर. दुबे जिला पुनर्गठन समिति (1983) की अनुशंसा पर 26 मई 1998 को 8 नये जिले बने, उनमें 4 वर्तमान म.प्र. के हिस्से में है-खरगोन से बडवानी, मुरैना से श्योपुर, जबलपुर से कटनी और मण्डला से डिंडोरी। 10 जून 1998 को सिंहदेव समिति की अनुशंसा पर जो 8 नये जिले 6 जुलाई 1998 में बने, उनमें 3 वर्तमान मध्यप्रदेश के अन्तर्गत है – उमरिया, हरदा और नीमच
छ.ग. के पृथक्करण के बाद 1 नव. 2000 को म.प्र. में 45 जिले थे।
15 अगस्त 2003 को 3 नए जिले और बनाए गए-गुना से अशोक नगर, खंडवा से बुरहानपुर और शहडोल से अनूपपुर। मई-2008 में 2 नये जिले : झाबुआ से अलीराजपुर और सीधी से सिंगरोली
16 अगस्त 2013 को आगर नया जिला : शाजापुर से पृथक कर बना।
जिला पुनर्गठन समितियां : (1) बी, आर. दवे समिति (1983) (2) एम, एस. सिंहदेव समिति (जून 1998)
Notable Fact : भारत में रियायतों के एकीकरण के समय बुंदेलखण्ड पहली रियासत थी, जिसने भारत संघ में शामिल होने की घोषणा की थी। कुल 61 रियासते वर्तमान म.प्र. में शामिल है। सेन्ट्रल प्रोविन्स की एकमात्र रियासत जो म.प्र. में शामिल है- मकडाई (हरदा जिला)

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